थोड़ा और रुक जाते

जब तुम किसी काम को टालने के लिए हमेशा कहते थे–‘थोड़ा-सा और रुक जाएँ?’ याद करो, सालों पुरानी यही लाइन तकियाकलाम बनती गई।’

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वार्तालाप

यह क्या हुआ कि जब मर्जी हुई तभी लगा दिया फोन और खामखाँ सामनेवाले की मुसीबत पैदा कर दी उफ! किस तरह मोबाइल का मिसयूज कर रहे हैं ये लोग।

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टाइपराइटर

बात काफी पुरानी है। टाइप राइटर चलन के बाहर नहीं हुए थे। कचहरी, नगरपालिका के बाहर और दफ्तरों में इनकी खटखटाहट गूँजती रहती थी।

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वो आएगा

उम्र बहुत दयावान होती है। आदमी के बालों को सफेद कर देती है ताकि लोग उसको बुजुर्ग और तजुर्बेदार समझें। नजर को धुंधला कर देती है

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