नकद नारायण

वैसे तो इतिहास की भी सबसे अच्छी किताबों में शुमार है, ‘फिक्शन इन द आर्काइव्स’! ‘सबसे ऊपर है, मनुष्य का सत्य, कहा था कवि गुरु ने!’

और जानेनकद नारायण

जिम्मेदार कौन

वह बोलता जा रहा था, ‘आपकी कहानियों की चर्चा कहाँ नहीं होती। मैंने तो सुदामा कॉलेज में कहानियों पर आपका आख्यान सुना था।

और जानेजिम्मेदार कौन

धर्म ध्वजा के नीचे

मंजुल की नजरों ने उस स्त्री का पीछा किया। सामने ही दरवाजा था, जिसमें से दिख रहा था कि उस स्त्री ने एक चमकदार चाकू से सेब काटा और अपने रोते हुए लड़के को थमा दिया।

और जानेधर्म ध्वजा के नीचे

ढूँढ़ो ढूँढ़ो रे साजना!

उमा नतमस्तक है माँ के लाड़ और वात्सल्य के आगे। रात सोने गई, मन को टटोला...वो चाहता है माँ के सीने से लग जाय, चरणों में लोट जाय, बिलकुल वैसे ही जैसे नेहा उसके गले से लिपट जाती है।

और जानेढूँढ़ो ढूँढ़ो रे साजना!

विपदा

घर में फैले अँधेरे में ढिबरी की मद्धिम रोशनी में माँ के गोल-मटोल साँवले चेहरे में बड़ी-सी आँखें जुगनू-सी चमक रही थीं। विपदा का ध्यान माँ की बातों पर जम गया था।

और जानेविपदा