धर्म ध्वजा के नीचे
मंजुल की नजरों ने उस स्त्री का पीछा किया। सामने ही दरवाजा था, जिसमें से दिख रहा था कि उस स्त्री ने एक चमकदार चाकू से सेब काटा और अपने रोते हुए लड़के को थमा दिया।
मंजुल की नजरों ने उस स्त्री का पीछा किया। सामने ही दरवाजा था, जिसमें से दिख रहा था कि उस स्त्री ने एक चमकदार चाकू से सेब काटा और अपने रोते हुए लड़के को थमा दिया।
उमा नतमस्तक है माँ के लाड़ और वात्सल्य के आगे। रात सोने गई, मन को टटोला...वो चाहता है माँ के सीने से लग जाय, चरणों में लोट जाय, बिलकुल वैसे ही जैसे नेहा उसके गले से लिपट जाती है।
घर में फैले अँधेरे में ढिबरी की मद्धिम रोशनी में माँ के गोल-मटोल साँवले चेहरे में बड़ी-सी आँखें जुगनू-सी चमक रही थीं। विपदा का ध्यान माँ की बातों पर जम गया था।
सोनवाँ ने दिल कड़ाकर कहा–‘जो होना था सो तो हो गया। इसी महीने की छब्बीस तारीख से तुम्हारा इम्तिहान है। चलो हाथ-मुँह धो लो, कुछ खिला दूँ तुझे,
एकाएक भिलोटन की आँखों में खून उत्तर आता है और वह कंबल को झरहेट कर एक ही छलाँग में लपकते हुए चारों को धर दबोचता है।
समीर जैन उन लोगों में से था जो पक्की नौकरियों में ऊबते हैं और कच्ची नौकरियों से आकृष्ट होते हैं। भारत सरकार के भाषा विभाग