तवायफ माँ

उसके अंदर की माँ जगी तो तवायफ का अंत हो गया और माँ ने बच्चों के लिए अपना बलिदान कर दिया। गोपाल और राधिका फूट-फूटकर रोने लगे।

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बिहारी एक्सप्रेस

कहावत है न, ‘आयल पुन आयल दुःख कमाये लागल पुन, भागल दुःख।’ फिर तो दोनों ठहाका लगाकर हँसे थे। पाँच-पाँच बच्चे, फिर भी ठहाका! जैसे लड़के सब कमासुत हों...।

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