चालीस साल लम्बा स्वप्न

भरी निगाहों से उसकी झोपड़ी की ओर ताकता ताकि उसकी दुल्हन की एक झलक पा जाऊँ लेकिन महीनों उसके दर्शन नहीं हुए।

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उपराम

धमनियों में पुराना क्रोध सुरसुराने लगा–इसे तुम्हारा प्रतिकार समझूँ या प्रतिशोध? चुनौती या चेतावनी? मेरा दिया तुम कुछ भी

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कश्मीरी कपड़े का करिश्मा

तब तो कमाल है साब! यह सूट सर्दी में उसको पहनाना और गर्मी में खुद पहनना। जब उसको कुछ बड़ा हो तो थोड़ा पानी का छींटा उस पर मार देना और जब आपको कुछ छोटा हो तो उस पर इस्त्री कर देना।

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