सब कहते हैं-गीत सुनाओ
सब कहते हैं–गीत सुनाओ! मन को थोड़ा बहलाओ! यह न पूछता कोई तुमको क्या पीड़ा है बतलाओ?
सब कहते हैं–गीत सुनाओ! मन को थोड़ा बहलाओ! यह न पूछता कोई तुमको क्या पीड़ा है बतलाओ?
बादल घिरे आकाश में, तुम हो न मेरे पास में; मेरे लिए दो-दो तरफ बरसात के सामान हैं।
गाँवों के जन बड़े प्रेम से झूम-झूमकर कभी-कभी यों गा उठते हैं...
काले काले मेघ तुम्हारे–बिजली की ज्वाला मेरी यह मादक बरसात तुम्हारी–लपटों की माला मेरी
संसार का सबसे बड़ा ज्ञानी जगा बैठा है और, टेलिप्रिंटर पर अक्षर उगे जा रहे हैं।