पाखंड की इमारत
माथे पर पाग बाँधे एक बाँका सहसवार दरवाजे पर आकर खड़ा नहीं हो सकता और न ही फूलों का हार पहने पालकी जैसी दुल्हन उस समय की प्रतीक्षा करनी होगी
माथे पर पाग बाँधे एक बाँका सहसवार दरवाजे पर आकर खड़ा नहीं हो सकता और न ही फूलों का हार पहने पालकी जैसी दुल्हन उस समय की प्रतीक्षा करनी होगी
रोटी देता खेत हैबिना खेत के महल-अटारी धूप चमकती रेत है। झूठी शानो-शौकत लेकर साहब बड़े तबाह हैं कोरोना के एक डोज मेंरंक हो गए शाह
मुझे मालूम है मेरी है सियततुम्हारे बराबर नहीं है किसी भी मामले मेंऔर न ही तर्क-वितर्क गुणा-गणित लाभ-हानि के आधार पर आदमियों
खूब नहाते थे उसमें जब पानी का बहाव कम होता था चरती थी नदी के ढावा के ऊपर हमारी बकरियाँ गायें, भैंसें और हम सभी ग्वाल नदी
खोया है सभी ने कुछ न कुछ तो। तसल्ली है या नियति? भूलना होगा मुझे भी पीछा करती पुकारें, कौन पत्थर बनना चाहता है?
चारों चरण सृजन के हैं आत्मनेपदी ही परस्मैपदी तो प्राण-प्रतिष्ठा से होते हैं। जड़-जंगम के बारे में अनजान फतिंगे गूलर फल में जन्मे, जगकर भी सोते हैं।