पापा आप अपना ध्यान रखना
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पापा आप अपना ध्यान रखना

सब अच्छा है, मैं बहुत खुश हूँ पापा आप अपना ध्यान रखना मैं अभी नहीं आ पाऊँगी वे ऑफिस जाते हैं उन्हें देखना पड़ता है सुबह उठ कर जल्दी तैयार करना पड़ता है नाश्ता, खाना

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बचे-खुचे खूँन की रंगत थी

सबकी सब अपने शहर और गाँव के नाम या फलाँ की माँ, फलाँ की दादी फलाँ की पत्नी इन्द्राज थी इस तरह सब भूलती रही अपना नाम

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भारत ग्रामवासिनी

तीस कोटि संतान नग्न तन, अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्र जन, मूढ़ असभ्य, अशिक्षित, निर्धन, नत-मस्तक तरु तल निवासिनी!

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हाड़ पुरखों के

पिता कभी-कभी कहानी-सा बताते उनके दादा, पिता स्वर्ग रथ पे सवार होकर गए और उनकी चिताओं की राख भी हम बहा आए थे संगम में और सब संगम के पानियों के संग जमना में बही या गंगा संग बहती चली या सब सरस्वती सरीखी जज्ब हो गई

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काली चाय खौल रही है

मुर्गों ने नहीं दी बाँग दूध के बगैर काली चाय खौल रही है केतली में रहमान को आवाज देते लब आज चंचल को देते हैं हिदायत आज दो कप ही लाना तीन नहीं

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गुल्लक

शताब्दी खड़ी है सम्मुख देना पड़ रहा है हिसाब अपनी जमा राशि का ही नहीं उन मुस्कुराहटों का भी जब पापा दफ्तर से लौटकर रेजगारियाँ धर देते थे मुस्कुराहट के संग देखने को आतुर रहते चुन्नू की मासूम मुस्कुराहट

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