पेड़

मिट्टी को मजबूती से पकड़े हैं पेड़ इतनी मजबूती से कि पानी का प्रचंड वेग भी उसे हिला तक नहीं पाता मिट्टी की भी उतनी ही रक्षा करता है पेड़ कटान को रोककर स्वयं की जितनी पेड़ की जड़ें

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सदगति

भूखे-प्यासे दो जून की रोटी का आँखों में सपना पाले वह सुबह से दोपहर तक नाचता रहा यह बोल सुनते हुए–‘तनख्वाह देते हैं काम तो करना ही पड़ेगा मर कर करे या जी कर।’

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जीवन कितना सुंदर है

ना, इन फूलों पर न बनेगा मन-मधुकर मतवाला! अब न पियेगा स्वप्न-सुरभि– मदिरा का मादक प्याला!! काँटों में उलझा देना जीवन कितना सुंदर है!

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मेरी उम्र के लड़के

रोज क्लास से लॉज की दूरी में नौकरी से इंटरव्यू देने तक को सोचते जाते हैं लड़के लड़के, रात तक पूरा डेटा खर्च करने के बाद अपने सबसे धनी दोस्त को ‘तुम’ में संवादित कर

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मिठाई बनाने वाले

आँखों में परख परख भी एकदम पाग चिह्न लेने वाली इतने सब के बाद बोली तो मीठी होनी ही थी सो भी है। लेकिन कलेजा? मठूस हलवाई कहीं का बचपन में ही काले रसगुल्ले की कीमत

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है जो परिवर्तन

है जो परिवर्तन नियम तो सब बदलना चाहिए था फिर तो सूरज को भी पश्चिम से निकलना चाहिए था यूँ तो बदला जा चुका है जाने क्या क्या लेकिन अब तक वो नहीं बदला गया है जो बदलना चाहिए था

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