ददिया की कहानी
ददिया मुझे सुना दो फिर छोटी सी एक कहानी जिसमें प्यारा सा राजा हो और प्यारी सी रानी राजा हो ऐसा न्यारा, जो न्याय सदा ही करता हो
ददिया मुझे सुना दो फिर छोटी सी एक कहानी जिसमें प्यारा सा राजा हो और प्यारी सी रानी राजा हो ऐसा न्यारा, जो न्याय सदा ही करता हो
यही गधा था जो मुस्कुरा रहा था अकाल पीड़ित गाँव के शौचालय की दीवार पर भी यही गधा था जो मुस्कुरा रहा था टीवी पर जो जनसभा हमने देखी थी
खुली जेल में मौसम कैसा है कैसे हैं दिन रात बंदियों को ठीक से नींद आती है या नहीं क्या उनको सामना करना पड़ता है
काश, कोई यार मिलता जो दिल की बात सुनता-समझता जो था भी वह गुजर गया, काश कोई ऐसी पुस्तक मिलती जो प्रेमिका की यादें भूला देती काश, कोई वृद्धा संगिनी मिलती
मारै मौज, मानवैं खैर अपन अपन से जिनका वैर रिखी-मुनी का देय नजीर क्या सखि प्रीतम? नहीं वजीर
किनारा वह हमसे किए जा रहे हैं दिखाने को दर्शन दिए जा रहे हैंजुड़े थे सुहागिन के मोती के दाने वही सूत तोड़े लिए जा रहे हैंछिपी चोट की बात पूछी तो बोले निराशा के डोरे सिए जा रहे हैं