खुली जेल में मौसम कैसा है
खुली जेल में मौसम कैसा है कैसे हैं दिन रात बंदियों को ठीक से नींद आती है या नहीं क्या उनको सामना करना पड़ता है
खुली जेल में मौसम कैसा है कैसे हैं दिन रात बंदियों को ठीक से नींद आती है या नहीं क्या उनको सामना करना पड़ता है
काश, कोई यार मिलता जो दिल की बात सुनता-समझता जो था भी वह गुजर गया, काश कोई ऐसी पुस्तक मिलती जो प्रेमिका की यादें भूला देती काश, कोई वृद्धा संगिनी मिलती
मारै मौज, मानवैं खैर अपन अपन से जिनका वैर रिखी-मुनी का देय नजीर क्या सखि प्रीतम? नहीं वजीर
किनारा वह हमसे किए जा रहे हैं दिखाने को दर्शन दिए जा रहे हैंजुड़े थे सुहागिन के मोती के दाने वही सूत तोड़े लिए जा रहे हैंछिपी चोट की बात पूछी तो बोले निराशा के डोरे सिए जा रहे हैं
प्यार एक ऐसा एहसास जगाती जो जीवन का प्यास मन मुदित तन सुरभित टूट जाती सारी वर्जना है प्रबल यह भाव इतना मन करता सिर्फ कामना उम्र सीमा देह सीमा सबसे जाती पार यह इसके दम से है ये धरती इसके दम से आसमाँ।
तुम्हारा आना जेठ की दुपहरी में ठंडी बतास का बह जाना तुम्हारा साथ बादल के पास इंद्रधनुष का छाना।तुम्हारा मुस्कुराना अँधेरी रात में बिजली का कौंध जाना तुम्हारी बातें भोर की बेला में गौरैया का चहचहाना।