प्यार

प्यार एक ऐसा एहसास जगाती जो जीवन का प्यास मन मुदित तन सुरभित टूट जाती सारी वर्जना है प्रबल यह भाव इतना मन करता सिर्फ कामना उम्र सीमा देह सीमा सबसे जाती पार यह इसके दम से है ये धरती इसके दम से आसमाँ।

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तुम मेरे लिए

तुम्हारा आना जेठ की दुपहरी में ठंडी बतास का बह जाना तुम्हारा साथ बादल के पास इंद्रधनुष का छाना।तुम्हारा मुस्कुराना अँधेरी रात में बिजली का कौंध जाना तुम्हारी बातें भोर की बेला में गौरैया का चहचहाना।

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मैं हूँ हवा

मैं हूँ एक हवा का झोंका मस्ती से मेरा अनुबंध इधर चली अब उधर उड़ी इतने से मेरा संबंध।मेरा कोई आकार नहीं है न मेरा है कोई रंग दामन में निज खुशबू समेटे मैं तो हूँ औघर अनंग।मलयानिल बन कभी चलूँ मैं सबको बाँटूँ विपुल उमंग हिमगिरि से जब मैं नीचे उतरूँ लाऊँ शीतलता अपने संग।

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आजकल जल्दी ही थक जाते हैं

आजकल जल्दी ही कुछ कदमों पर ही थकने लगते हैं... एहसास, जज्बात संबंध और साथकिसी अंधी होड़-दौड़ की तेज चाल के साथ नहीं मिल पाती कदम तालतारी होने लगता है अहम घुसपैठ करने लगता है स्वार्थ

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शब्दों की बारात

जब ढेरों संवाद अकुला रहे होते हैं अव्यक्त मानस में कर रहे होते हैं संवाद निरंतर भीतर ही भीतरजिनकी कानों को भी नहीं लग पाती भनक वे दमित शब्द और उनका मौन चिंघाड़ता हुआ प्रकट होता है कविता मेंऔर कविता होती है उन चिंघाड़ते हुए शब्दों की बारात...

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शर्मनाक हादसों के गवाह

हम जो अपने समय के सबसे शर्मनाक हादसों के गवाह लोग हैं हम जो अपने समय की गवाही से मुकरे डरे, सहमे, मरे से लोग हैं।

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