मैं हूँ हवा
मैं हूँ एक हवा का झोंका मस्ती से मेरा अनुबंध इधर चली अब उधर उड़ी इतने से मेरा संबंध।मेरा कोई आकार नहीं है न मेरा है कोई रंग दामन में निज खुशबू समेटे मैं तो हूँ औघर अनंग।मलयानिल बन कभी चलूँ मैं सबको बाँटूँ विपुल उमंग हिमगिरि से जब मैं नीचे उतरूँ लाऊँ शीतलता अपने संग।