अपनी सी नमी लिए

जड़ हो या चेतन दिखा तो नहीं कोई जिसमें प्यास न हो। गुजर कर तो देखो पत्थरों के पास से थोड़ी भीगी-सी सहलाने की आहट लिए।

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मत कुतर देना

मुझे रहने दो थमा कितनी गतिशीलता है इसमें!सँभालो, सँभालो मेरे अभी-अभी आए पंखों को इनकी मासूम उड़ान को।मत कुतर देना इन्हें कविता समझ अरे, ओ, हतभागी निषाद।

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यादों की गठरी में

नायिका के विरह को तो हिंदी साहित्य में अनेकानेक विद्वानों ने शब्दबद्ध करने की चेष्टा की है और जिसे अनमोल निधि के रूप में संग्रहीत भी किया जाता रहा है,

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लाल निशान

पानी खतरे का लाल निशान पार कर चुका है ज्यादा दूर नहीं है वह समय जब साँस लेने की जुर्रत में पानी नाक के भीतर समा जाएगा और ज़िदगी की साँस उखड़ जाएगी।

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ऋतुराज

माना, असंख्य वर्णों नादों गंधों स्पर्शों का समन्वित स्वर व्याप्त है तुम में संपूर्ण सौंदर्य और ऐश्वर्य से परिपूर्ण ऋतुराज हो तुम

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