जीवित हैं ममता भरे अर्थ
भूख कब लगना शुरू होती बग़ैर भाषा की उम्र से जानती रही माँ होंठ पर रखी हुई उँगली भर से ख़ुशियों की भाषा लिख देने का हुनर भी तो माँ ही जानती थी
भूख कब लगना शुरू होती बग़ैर भाषा की उम्र से जानती रही माँ होंठ पर रखी हुई उँगली भर से ख़ुशियों की भाषा लिख देने का हुनर भी तो माँ ही जानती थी
मौसम की परिभाषा में बयारें समझी जाती रही जिस तरफ़ अमृत कलश पाए जाने के ब्यौरे पेश हलाहल के लिए प्रयुक्त शब्दों के भावार्थ उसी तरफ़ से जाने मैंने साँप की सरसराहट जैसी राहों पर
तुम्हारे प्यार की निशानी बस मिल नहीं रही है तो इस विकट समय में अपनी ही आँख में डूबी ज़िंदगी नहीं मिल रही मुद्रिका की निशानी से तुम पहचान ली जाती
आकांक्षाओं का बंडल कोई भीतर-ही-भीतर नमक से नहा रहा कोई रगों में नाव खेता हुआ समकाल है यह सराय ख़ाली होती जा रही
उनकी आवाज़ सुनने का मन होता है वह कहीं सुरक्षित नहीं है कि बजा दिया जाए जब मन करे जैसे पुकार लिया करते थे वे कई बार मेरा नाम
कई शहरों में कई-कई लेबर चौराहे हैं अल्लापुर या रामबाग़ में बनारस या कानपुर में दिल्ली या अमृतसर में हर जगह जैसे सिविल लाइन्स है, जैसे घंटाघर है, जैसे चौक है