सच की साधना
होता ही रहेगा यह विक्रम और बैताल, सच भी चलता रहेगा अपनी चाल।मैंने उसे सच कहा और उसको खो दिया।
शत शत नमन
पुरखों ने गंगा की निर्मल धारा को, पाटलिपुत्र में नमन करके जो बीज वपन किया था
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