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कविता

Home » कविता » Page 30
 स्वयं संवाद

स्वयं संवाद

  • Post author:abhiranjan.priyadarshi
  • Post published:October 1, 2021
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

तू अकेली है तो क्या... तू जमीन बन/तू आसमान बन तू शिखर बन/तू हवा बन बह

और जानेस्वयं संवाद
 छाँव

छाँव

  • Post author:abhiranjan.priyadarshi
  • Post published:October 1, 2021
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

लौट-लौट फिर जाते हैं ये पाँव वहीं, जहाँ ठूँठ-ही-ठूँठ मिले पर छाँव नहीं।

और जानेछाँव
 सच की साधना

सच की साधना

  • Post author:abhiranjan.priyadarshi
  • Post published:October 1, 2021
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

होता ही रहेगा यह विक्रम और बैताल, सच भी चलता रहेगा अपनी चाल।मैंने उसे सच कहा और उसको खो दिया।

और जानेसच की साधना
 जिजीविषा

जिजीविषा

  • Post author:abhiranjan.priyadarshi
  • Post published:October 1, 2021
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

कभी हालात ने मारा, कभी ख़यालात ने मारा,

और जानेजिजीविषा
 फिर भी धूप

फिर भी धूप

  • Post author:abhiranjan.priyadarshi
  • Post published:October 1, 2021
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

धूप आती है, धूप जाती है।धूप खिलती है, धूप चिलचिलाती है।

और जानेफिर भी धूप
 मौन हूँ मैं

मौन हूँ मैं

  • Post author:abhiranjan.priyadarshi
  • Post published:October 1, 2021
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

क्या बताऊँ कौन हूँ मैं नाम क्या जाना कहाँ

और जानेमौन हूँ मैं
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