तुम्हारे बिना
आज तुम्हें होना चाहिए था जेठ की चिलचिलाती रेत पर हम चल लेते, बहुत होता तो
आज तुम्हें होना चाहिए था जेठ की चिलचिलाती रेत पर हम चल लेते, बहुत होता तो
तुम मुझे एक कप चाय पिलाके मुझसे क्या कहलवाना चाहते हो
अभी घर में मैं हूँ और मेरी माँ है लेकिन माँ चिंतित और उदास है मेरे भाई को घर से निकले दो घंटे हो चुके हैं
चढ़ते दिन और ढलती शाम के बीच खाली होता घर जैसे इंतजार कर रहा होता है
जो पढ़े लिखे विकसित थे पढ़ रहे थे बर्बरता और अपराधों के कानून की किताबें