बचा रहे औरत का चिड़ियापन
मौसम आ गया है फिर से पत्नी और चिड़िया के बीच नोंक-झोंक का पत्नी घर सँवारने की जिद्द में उजाड़ देती है घोंसले चिड़ियाँ
मौसम आ गया है फिर से पत्नी और चिड़िया के बीच नोंक-झोंक का पत्नी घर सँवारने की जिद्द में उजाड़ देती है घोंसले चिड़ियाँ
शहर भर की सुबह को ताजा दम करते घर-घर कूड़ा उठाते नगर निगम कर्मी की लौटती पीठ पर लदे बोरे में से
भीषण धर्मयुद्धों के बाद भी फिर फिर लौटते रहे धर्म आर्द्र सुबह के मौन में प्रार्थना के ही पासप्रार्थना की भीगी कातर पुकार ने छुआ हर किसी का अंतरतर
नए नए स्कूल और स्कूल बस्ते के आह्लाद के बीच आया पहला दिन छुट्टी का सारी किताबें उड़ेल कर एक ओर कह रही थी वो तुतलाती मचलती नचाती हुई
मेरे रविदास मंदिर में कोई ब्राह्मण पूजा करने क्यों नहीं आता?पूजा करना तो दूर मेरे वाल्मीकि मंदिर की ओर कोई भी ब्राह्मण आँख उठाकर देखता तक नहीं!
कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली दिल की नहीं दिमागों में भी आग लगाने वालीपैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारेलहू गर्म रखने को रक्खो मन में ज्वलित विचार हिंस्र जीव से बचने को चाहिए किंतु, तलवार