हम फिर मिलेंगे

मुझे याद है वह बसंत का मौसम था मैंने उससे इतना ही कहा– अगले बसंत में हम फिर मिलेंगे चिड़ियों वाले उसी घने पेड़ के नीचे!

और जानेहम फिर मिलेंगे

था तो इश्क ही

उसने तो यही कहा था उसकी रूह मेरी थी मेरे जिस्म की वो मालिक थी इश्क का टाइप कुछ भी कहे दुनिया मगर फिर भी था तो...इश्क ही

और जानेथा तो इश्क ही