दो भींगे शब्द

तुम क्या दे देते हो जो कोई नहीं दे पाता दो भींगे शब्द जो मेरे सबसे शुष्क प्रश्नों का उत्तर होती हैं तुम मुझसे ले लेते हो तन्हा लम्हें और मैं महसूस करती हूँ एक गुनगुनाती भीड़ खुद के खूब भीतर

और जानेदो भींगे शब्द

मैं भूल जाता हूँ

मैं आजकल बाजार से दृश्य लाता हूँ समेट कर आँखों में भूल जाता हूँ खर्च कितना किया समय? झोली टटोलती उँगलियों को आँखों के सौदे याद नहीं रहतेमैं पढ़ता जाता हूँ वह अनपढ़ी रह जाती है

और जानेमैं भूल जाता हूँ

यह भी एक जीद है

दुनियादार दोस्त कहते थे यह सोचना भी एक पागलपन है रात में देर तक जागते हुए सोचना खतरनाक है सेहत के लिएफिर भी एक जिद है जागते रहने और सोचने की

और जानेयह भी एक जीद है

नजरिया

जानता हूँ सब कुछ जो इन दिनों घटित हो रहा है ठीक नहीं है बावजूद इसके भरोसा है सच के पक्ष में पूरी मजबूती से खड़ेन हारने वाले शब्दों

और जानेनजरिया

संवेदनाऔ के हमराज

दोनों एक दूसरे की तरफ पीठ किए... औरत बच्चों को देख खिलखिलाती होगी। और आदमी उस अखबार को खोल शाम की ताजा खबर से अपना जी बहलाता होगा। उठते समय एक का घुटना दुखता होगा

और जानेसंवेदनाऔ के हमराज

मेरे आस-पास

पुरखों के दिन फिर से आ गए पैर की चोट ने फिर लाचार कर दिया सीढ़ियाँ नहीं चढ़ पाता हूँ इन दिनों भी। जाने कहाँ से आकर छत पर कौवे बोला करते हैं सबसे नीचे वाली सीढ़ी के पास कुर्सी डालकर बैठ गया हूँ।

और जानेमेरे आस-पास