कवि
कवि की प्रतिष्ठा थी अपने चहेतों से वे घिरे थे उन्हें पुरस्कारों से नवाजा जाता था उनकी बातें सुनी जाती थीं तालियाँ बजती थीं फिर हवा में उड़ा दी जाती थीं
कवि की प्रतिष्ठा थी अपने चहेतों से वे घिरे थे उन्हें पुरस्कारों से नवाजा जाता था उनकी बातें सुनी जाती थीं तालियाँ बजती थीं फिर हवा में उड़ा दी जाती थीं
उसे क्या पता है कि एक आदमी खत्म हो सकता है जीवन खत्म नहीं हो सकता एक कवि मर सकता है मारा जा सकता है कविता कभी मर नहीं सकती उसका लिखा जाना प्रतिबंधित किया जा सकता है
कविता के लिए मैं कहीं नहीं जाता कोई विशेष उपक्रम भी नहीं करता योजना भी नहीं होती जहाँ और जिनके बीच होता हूँ कविता वहीं होती है
हिस्सा था एक भीड़ का कल तक जो आदमी रहता है अब हरेक से तन्हा कटा हुआशीशे में दिल के कोई तो उतरा जरूर था एक अक्स आइने में है अब तक जड़ा हुआपड़ते हैं पाँव राम के किस रोज देखिए
तुम क्या दे देते हो जो कोई नहीं दे पाता दो भींगे शब्द जो मेरे सबसे शुष्क प्रश्नों का उत्तर होती हैं तुम मुझसे ले लेते हो तन्हा लम्हें और मैं महसूस करती हूँ एक गुनगुनाती भीड़ खुद के खूब भीतर
मैं आजकल बाजार से दृश्य लाता हूँ समेट कर आँखों में भूल जाता हूँ खर्च कितना किया समय? झोली टटोलती उँगलियों को आँखों के सौदे याद नहीं रहतेमैं पढ़ता जाता हूँ वह अनपढ़ी रह जाती है