रोटी देता खेत है

रोटी देता खेत हैबिना खेत के महल-अटारी धूप चमकती रेत है। झूठी शानो-शौकत लेकर साहब बड़े तबाह हैं कोरोना के एक डोज मेंरंक हो गए शाह

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एंटिक फर्नीचर

नवीन चुपचाप खड़ा देख रहा था और सोच भी रहा था कि कैसे कुछ साल पहले सोमा ने माँ के पुराने सामान और फर्नीचर को रद्दी के

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तीन रंग का ध्वज

तीन रंग का ध्वज फहराता भारत लेकिन है सतरंगा हम विषपायी इसीलिए हैं क्योंकि हमारी माँ है गंगा।धरती भारत, नभ भारत है

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मैं अंडमान हूँ

ऐसी ही काल कोठरी में सावरकर भी तो बंद हुएवहीं कील से लिख करकेक्रांति ज्वाल के छंद दिए।ऐसे ही कितने वीरों नेभोगा उस काला पानी

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ये दिल माँगे मोर

रोम-रोम में राम बसा करते थे पहलेअब तो केवल रोम-रोम है, राम कहाँ हैराजधानियों में हैं गोरी और गजनबीश्रद्धा के मंदिर

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पलने लगी

चढ़ने लगा है भाव भी बाज़ारे-इश्क़ में छूने को आसमान चलीं क़ीमतें नई हमने लगा दी जान मिटाने में दूरियाँ अब मत बनाओ यार मेरे सरहदें

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