यह भी एक जीद है

दुनियादार दोस्त कहते थे यह सोचना भी एक पागलपन है रात में देर तक जागते हुए सोचना खतरनाक है सेहत के लिएफिर भी एक जिद है जागते रहने और सोचने की

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नजरिया

जानता हूँ सब कुछ जो इन दिनों घटित हो रहा है ठीक नहीं है बावजूद इसके भरोसा है सच के पक्ष में पूरी मजबूती से खड़ेन हारने वाले शब्दों

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संवेदनाऔ के हमराज

दोनों एक दूसरे की तरफ पीठ किए... औरत बच्चों को देख खिलखिलाती होगी। और आदमी उस अखबार को खोल शाम की ताजा खबर से अपना जी बहलाता होगा। उठते समय एक का घुटना दुखता होगा

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मेरे आस-पास

पुरखों के दिन फिर से आ गए पैर की चोट ने फिर लाचार कर दिया सीढ़ियाँ नहीं चढ़ पाता हूँ इन दिनों भी। जाने कहाँ से आकर छत पर कौवे बोला करते हैं सबसे नीचे वाली सीढ़ी के पास कुर्सी डालकर बैठ गया हूँ।

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सलाखें

लाठी गोली अमला फौज सब हो जाते बेकार जब भी शब्द लेते हैं रूप भाषा में ढलते हैं विचारतानाशाहों की उड़ जाती है नींद भोर के अंतिम पहर तक

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राजनीती

तुमने कहा तुम खुली किताब हो और मैंने मान लिया तुमने कहा तुम झूठ नहीं बोलते और मैंने मान लिया पर जब मैंने कहा मैं आजाद पंछी हूँ

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