माँ की ममता
एक माँ की ममता और वट वृक्ष की जड़ें बहुत गहरी होती हैं तभी तो वे सिर्फ सहारा देना जानती हैं जिसकी गहराई
एक माँ की ममता और वट वृक्ष की जड़ें बहुत गहरी होती हैं तभी तो वे सिर्फ सहारा देना जानती हैं जिसकी गहराई
बड़ी ढीठ होती हैं लड़कियाँ हर रिश्ते में रिसता जाता है इनका स्वाभिमान भींग जाती है वह समूची पर हार नहीं मानती।
जिंदगी की कहानी रही अनकही दिन गुजरते रहे, साँस चलती रही।अर्थ क्या, शक्क की अनमने रह गए कोष से जो खिंचे तो तने रह गए वेदना अश्रु-पानी बनी, बह गई धूप ढलती रही, छाँह छलती रही!
तम के गह्वर में दीये की टिमटिमाती लौ देती है इक उम्मीद जो निज पर को फड़फड़ाते हुए एक ऐसी उड़ान भरती है
ईर्ष्या की आँच में जल रही है संसृति। हाँ इसी तरह जलते-जलते एक दिन पूरी सृष्टि जल जाएगी। सब समाप्त हो जाएगा फिर ना कोई ‘मैं’ और न कोई ‘तुम’
जब-जब मानव परछा जाते हैं संकट के बादलहूंकार करता हुआअपना विकराल रूपदिखलाता– करता प्रहारतो, बारिश की बूँदों साकर्म रत