कोरोना समय

कुछ नहीं हुआ देव! कुछ नहीं इस महाविनाशक आपात समय में जब हमें तुम्हारे आसरे की जरूरत है तुम कहीं दिखाई नहीं दे रहे न ही कहीं तुम्हारी लीला,

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जो बीत गई सो बात गई

कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है जो बीत गई सो बात गई।

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जब सपने आते हैं

अँधेरे से अँधेरे वक्त में भी जिंदा रहते हैं सपने पहले एक आदमी की आँखों में उतरते हैं फिर हजार आँखों में झिलमिला उठते हैं

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कहीं भी हो सकते हैं मुर्दे

जब किसी निर्दोष के गले पर कोई सरकार अपने घुटने टिका देती है उसका दम घुटने लगता है मुर्दे पहचान लिए जाते हैं

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आधी रात बारिश

अभी आधी रात का है वक्त बारिश हो रही झर-झर आ रही ठंडी हवा सर-सर बूँदों से गुजरतीं भीगतीं सर्द के अहसास से भरती हृदय को

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