चित्रशाला
पानी बह चुके गंगा के कितने बहने को बाकी हैं कितने दृश्य अनगिनत उपस्थित करते हुए फिर उन्हें गायब करते हुए सूरज कितनी ही बार उग चुका
पानी बह चुके गंगा के कितने बहने को बाकी हैं कितने दृश्य अनगिनत उपस्थित करते हुए फिर उन्हें गायब करते हुए सूरज कितनी ही बार उग चुका
जल जंगल जमीन को बचाने की बात नहीं कर सकता आदिवासी दलित पिछड़ों के अधिकारों की बात नहीं कर सकता महिला के सम्मान की बात नहीं कर सकता ऐसे पद पर रहने से नफ़रत है मुझे
यह वही गाड़ी है जिस गाड़ी में हत्या करके लाए थे रात के ग्यारह बजे बूढ़ी माँ के नौजवान बेटे कोकहीं से नहीं दिखाता ख़ुद को हत्यारा सभी झूठों को इक्कठा करके ख़ुद को कर लिया
सब अच्छा है, मैं बहुत खुश हूँ पापा आप अपना ध्यान रखना मैं अभी नहीं आ पाऊँगी वे ऑफिस जाते हैं उन्हें देखना पड़ता है सुबह उठ कर जल्दी तैयार करना पड़ता है नाश्ता, खाना
सबकी सब अपने शहर और गाँव के नाम या फलाँ की माँ, फलाँ की दादी फलाँ की पत्नी इन्द्राज थी इस तरह सब भूलती रही अपना नाम
तीस कोटि संतान नग्न तन, अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्र जन, मूढ़ असभ्य, अशिक्षित, निर्धन, नत-मस्तक तरु तल निवासिनी!