पुरानी फ्रॉक

जब से मालकिन की बेटी ने उसे पुरानी फ्रॉक दी है, उसकी खुशी का ठिकाना नहीं उसे याद आई कितना खुश थी उसकी माँ जब मालकिन ने उन्हें पुरानी साड़ी दी थी

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टीसन के बच्चे

ट्रेन के आते दौड़ पड़ते, गिड़गिड़ाते ढोने को सामान, यात्री खुश होते, वर्दीधारी कुली के बदले में बड़े सस्ते में पट जाते बच्चे

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वैसा ही संगीत

पतझर के उदास मौसम में कच्ची राहों पर झुके दरखतों से टूट-टूट कर गिरते सूखे पत्तों की चरचराहट में भी –विलगाव के गहरे विषाद, उदासी, पीड़ा का वैसा ही संगीत जान पड़ता है।

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आज दिल फिर बहकने लगा

चाँद से ख्वाब पाकर मगर आदमी है भटकने लगाजिंदगी तिश्नगी, भूख है यूँ समुंदर दहकने लगाहमसफर बन अजब राहबर तीरगी में सहकने लगा

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जिंदगी को सफर रखना

दुश्मनों की अदा दोस्ती रोज उनकी ख़बर रखनाप्यार कर बंदगी दिलकश सिर्फ इसका असर रखनाखुशनुमा गरफिजा मकसद तो विहँसता शजर रखनाहै उजाला हसीं धड़कन हमसफर तू सहर रखना

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