टूटा व्यक्तित्व

कौन था वह? कौन? यह एक ऐसा प्रश्न था जिससे उसके कान के परदे फट गए इस प्रश्न की प्रतिध्वनियों से वह भयभीत हो गया पागल सा हो गया

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हमारे बीच का अभिमानी

उसके हाथ में तलवार या हथियार या कंधे पर जाल नहीं होता था उसे गेहूँ से था प्यार और दीवारों से महासागरों से भी इसलिए कि उसमें फल आएँ उसमें द्वार खुलें!

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उसका मारा जाना तय था

तय था उसका मारा जाना क्योंकि लोकतंत्र की रक्षा की वकालत करता भीड़ में सबसे आगे जा खड़ा होता था वह मुट्ठियाँ बाँधेतय था कि वह एक न एक दिन मारा जाएगा इसलिए कि वह जनतंत्र में विश्वास करता जनहित की बातें करता था और अक्सर जनहित याचिकाएँ दायर करने में लगा रहता था

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तुम्हारे आतंक से

मेरी समझ से मेरा तुम्हारा रिश्ता सड़क पर चल रहे दो अनजान आदमी की तरह है जिसे अगले चौराहे पर जाकर मुड़ जाना है अलग-अलग दिशाओं में अपने-अपने काम पर जाने के लिए

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नामसुख

उनका आपसी स्वनाम पुकार–व्यापार मुझ वर्णाधम को भी बेतरह भाया इसमें मैंने नाम-सुख पाया सो मैंने भी अपने लिए उनसे गाँधी–प्रिय पुकारू नाम–हरिजन कहकर बुलाने का अनुरोध फरमायाइस पर उन दोनों ने पहले तो ठहाका लगाया पर न जाने क्यों एकबारगी उनके चेहरे का रंग उतर आया

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ईश्वर बनाम मनुष्यता

बुद्ध महावीर जैसे अकुंठ मनुष्यता के धनी महापुरुषों के अनन्य अनुपमेय कर्मों को ईश्वरीय का नाम दे ईश्वर के नाम पर महिमामंडित कर वस्तुतः ईश-रचयिताओं ने इन्हें ओछा अनअनुकरणीय बनाने की ही की है सफल कोशिश और सामान्यजन की समझ को जाँचा-परखा है

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