ईश्वर बनाम मनुष्यता

बुद्ध महावीर जैसे अकुंठ मनुष्यता के धनी महापुरुषों के अनन्य अनुपमेय कर्मों को ईश्वरीय का नाम दे ईश्वर के नाम पर महिमामंडित कर वस्तुतः ईश-रचयिताओं ने इन्हें ओछा अनअनुकरणीय बनाने की ही की है सफल कोशिश और सामान्यजन की समझ को जाँचा-परखा है

और जानेईश्वर बनाम मनुष्यता

खल साहित्यिकों का छलवृत्तांत

अपने गिरोह के मुट्ठी भर खल साहित्यिकों के साथ मिल बैठ कर खड़ा किया उन्होंने किसी कद्दावर कवि के नाम पर एक ‘सम्मान’ और वे सम्मान-पुरस्कर्ता बन कर तन गए इस तिकड़म में महज कुछ सौ रुपयों में अपने लिए पूर्व में खरीदे गए दिवंगत साहित्यकारों के नाम के कुछ क्षुद्र सम्मानों का नजीर उनके काम आया

और जानेखल साहित्यिकों का छलवृत्तांत

अगर मैं खोया बहुत कुछ तो

अगर मैं खोया बहुत कुछ तो बहुत पाया भी कभी-कभी तो मिला मूल का सवाया भीडुबो गया जो बचाने के बहाने मुझको बहादुरी का उसी ने ख़िताब पाया भीज़मीर बेचकर कश्कोल1 का सौदा न किया इसी फ़कीरी ने ख़ुद्दार यूँ बनाया भी

और जानेअगर मैं खोया बहुत कुछ तो

बादल राग

झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन-घोर राग अमर, अंबर में भर निज रोर!झर-झर निर्झर, गिरि, सर में घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर में सरित, तड़ित गति, चकित पवन में मन में, विजन गहन, कानन में आनन-फानन में, रव घोर कठोर– राग-अमर, अंबर में भर निज रोर!

और जानेबादल राग

कानून की नजरों में

कानून की नजरों में बच्चे समय से पहले जवान हो रहे हैं क्योंकि आज कल तथागत तुलसी के साथ ही निर्भया जैसों के कातिल भी पैदा हो रहे हैं!

और जानेकानून की नजरों में

बच्चे फिर भी उदास हैं

पहले हम पाँच भाई बहनआपस में एक गुड़िया के लिए लड़ा झगड़ा करते थे और माँ की डाँट सुन कर दिनभर उदास रहा करते थे

और जानेबच्चे फिर भी उदास हैं