छटपटाहट

कविता की रचना सिर्फ रचना नहीं है मेरे लिए मन की छटपटाहट जब खौलते पानी की तरह हीरह रह कर पट पट की आवाज से मेरे मन प्राण को जलाती

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इन्हीं हाथों से

बेटी मात्र बेटी ही नहीं होती माँ-बाप की लाड़ली होती है परिवार की लालिमा होती है समाज का मान-सम्मानऔर देश की धरोहर होती है।

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तस्वीर

जब मैं देखता हूँ अपने पूर्वजों कीटँगी हुई तस्वीरें, तो मन में बातें दृढ़ता दर्द भरी उभर आती है कि मैं भी तो टंग जाऊँगा इनके साथ ही एक दिन

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