वह जो एक शब्द है
वह जो एक वाक्य है मैं उसे एक अच्छे वक्तव्य में हूबहू बदल देना चाहता हूँ मेरे पास वाक्य नहीं है।वह जो एक वक्तव्य है मैं उसे एक अच्छी भाषा में हूबहू बदल देना चाहता हूँ
वह जो एक वाक्य है मैं उसे एक अच्छे वक्तव्य में हूबहू बदल देना चाहता हूँ मेरे पास वाक्य नहीं है।वह जो एक वक्तव्य है मैं उसे एक अच्छी भाषा में हूबहू बदल देना चाहता हूँ
जंगल में मोर नाचा, किसने देखा? कभी-कभी, गंजे को भी खाज़ होती है और सिर्फ़ नगाड़े की ही नहीं, तूती की भी आवाज़ होती है लो, देख लो, वहाँ, उधर सुर्ख-स्वर्णिम सुबह हो रही है और एक बार फिर
अपना होना तब बनती है सागर जब धरती खोती हैअपना सूक्ष्म अस्ति भाव तब बनती है सुगंध और रंग इस जगत में सुगंध होने के लिए
मैं रात-रातभर करवट बदलता बिस्तर की सिलवटों से बने इंडिया के मानचित्र में भारत को ढूँढ़ता हूँभारत और इंडिया के बीच चल रही बहस में शामिल इंडिया की वकालत करते लोगों
हम लगातार छलते रहे हैं पेट और दिल की अनसुलझी गुत्थी सुलझाने मेंहम जानते हैं कि कुछ भी बदल पाना तुरंत हमारे बूते का नहीं फिर भी हम सक्रिय रहेंगे
जो कि एहसास-ए-कमतरी का होना था पता नहीं, ज़िंदगी का ये कौन-सा कोना था जिसमें सिर्फ़, होना था कि सिर्फ़ रोना था? और अगर सिर्फ़ रोना था तो फिर होना क्या था?