शुद्धता की खोज में
सबने सामूहिक गान किया खाई कसमें सबने कुछ कवि के पैर पड़े थे जहाँ-तहाँ वहाँ शुद्धता बची थी
सबने सामूहिक गान किया खाई कसमें सबने कुछ कवि के पैर पड़े थे जहाँ-तहाँ वहाँ शुद्धता बची थी
मेरे संगीतज्ञ ने एक रोज मुझे बताया धूप है तो बारिश है बारिश है तो धूप है
गरहे में पानी खेतों की जोत दिखाई दे वहाँ बात करती हँसती हुईं झुंड में लड़कियाँ और लड़के लगा रहे हों कहकहे
गुमशुदा कुछ होता रहा है सदियों से तो एक घर गुमशुदा होता रहा है ताखे पर जिसके किताबें रखी होती हैं नज्मों की
काट ले गया थान से आधी लौकी आधा चोर आधी ईमानदारी छोड़ गया वह खुश है लौकी बैंक से
साजन, होली आई है! सुख से हँसना, जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो गया आज– साजन, होली आई है हँसाने हमको आई है!