विश्वास तुम्हीं पर कर पाया
जब जब सम्मुख तम गहराया, मन सदा तुम्हारी शरण गया संघर्षों में, तूफानों में, तुमसे ही मन का मरण गया,
जब जब सम्मुख तम गहराया, मन सदा तुम्हारी शरण गया संघर्षों में, तूफानों में, तुमसे ही मन का मरण गया,
है मसीहा रहगुजर मगरबस गिराता गाज देखिए भूख में जनता यहाँ वहाँ ख्वाब यूँ स्वराज देखिए नाच गाना जश्न आजकलमौज में है ताज देखिए
ख्वाब का बाजार देते हैं कर उसे अंगार देते हैंआदमी जलता उसी में यूँ ताज कर गुलनार देते हैंहै धरम उनका मसीहाई जीस्त कर अखबार देते हैं
रहगुजर में आग है अभी तख्त पर एक नाग है अभीहै सिंकदर रहनुमा मगर मुल्क पर वो दाग है अभीहै लुगाई सल्तनत नई मौज करता काग है अभी
मुल्क में हवाला है आदमी किवाला हैख्वाब का समुंदर है लूटता निवाला हैदर्द अब जमाने में हर कदम रिसाला हैआजकल बहारा यूँ दीखती उजाला हैथामकर मशालों को हर जगह मलाला है
शब्दों में छिपा अर्थ ही उन्हें बनाता है मूल्यवान शब्दों की सत्ता तभी तक है सार्थक जब तक दूसरे को न पहुँचे ठेस