शायद आगे रास्ता साफ मिले

पहाड़ियाँ हैं, पहाड़ियों पर कायम है किले कायम किलों में कायम हैं अनगिनत तहखाने अनगिनत तहखानों में कायम हैं अनगिनत पिंजरे अनगिनत पिंजरों में बंद हैं अनगिनत वे पक्षी

और जानेशायद आगे रास्ता साफ मिले
 नीलकंठ
नीलकंठ Troubled by Wassily Kandinsky- WikiArt

नीलकंठ

जब हम अपनी हवस में ऊँचा और ऊँचा उठने के लिए हवा में घोल रहे होते हैं–- जहर तब वह दिन में नीलकंठ की तरह उसका विष चूस रहा होता है ताकि हम बचे रह सकें–- जहरीली हवाओं से

और जानेनीलकंठ