दुख में तुम्हारी हँसी
जब-जब मेरी फटेहाली फटे जूते में ढुकी कील-सी पाँव में चुभती थी
जब-जब मेरी फटेहाली फटे जूते में ढुकी कील-सी पाँव में चुभती थी
एक अच्छा ख़ासा पत्थर लेकर अपने सिर को चूर-चूर कर दे किंतु फिर उसने तुरंत... चेहरे पर से पंजे हटा लिए और घबरा कर अगल-बगल देखा किसी को न देखता पाकर उसे अच्छा लगा
डरावनी अँधियारी में, यह सुंदर चाँद कहाँ से उतरा मेरे भीतर के आकाश में! डरावना कंकाल और सुंदर चाँद चलते हैं दोनों साथ-साथ जीवन में क्या!
उसका शरीर अवश्य भरा पूरा है फलों से लदी झुकी डाली के समान पर... किसी का न बोलना ही उसके मस्तिष्क में बदबू जैसा सारे वातावरण में व्याप्त हो गया है
कौन था वह? कौन? यह एक ऐसा प्रश्न था जिससे उसके कान के परदे फट गए इस प्रश्न की प्रतिध्वनियों से वह भयभीत हो गया पागल सा हो गया
उसके हाथ में तलवार या हथियार या कंधे पर जाल नहीं होता था उसे गेहूँ से था प्यार और दीवारों से महासागरों से भी इसलिए कि उसमें फल आएँ उसमें द्वार खुलें!