संवादहीनता की कीमत
चाँदनी उदास है चलो, चाँद से बात करें नदी उदास है चलो, बादलों से बात करें
चाँदनी उदास है चलो, चाँद से बात करें नदी उदास है चलो, बादलों से बात करें
उसे नदियों और पेड़ों और पर्वतों के बारे में बताना उसे बरगद के बारे में बताना तो कली और तुलसी के बारे में भी नीम और पीपल, बादल और बिजली के बारे में बताना अजगर, हाथी, घोड़ों के बारे में बताते हुए बेचारे एक केंचुए को न भूल जाना
वे हमारे हाथ हैं उन्होंने उठाया है बोझा उन्होंने कलम और तलवार चलाई है उन्होंने हथौड़े से कूटा है लोहा तो पेंसिल भी छीली है उन्होंने काटे हैं पहाड़ तो तराशे हैं हीरे-मोती भी।
कठोर सच! मानव मानव बनने की होड़ में मानव छोड़ सब कुछ बना यथा नेता-अभिनेता, क्रेता-विक्रेता, कवि-लेखक, स्वामी-सेवक और बहुत कुछ........
अफ्रिका एक ऐसी रचना है, जिसमें महाकवि ने बिल्कुल पिछड़े महादेश अफ्रिका के निर्दोष, निर्बोध आदिमवासियों के ऊपर होनेवाले तथाकथित सभ्य पाश्चात्य जगत के अमानुषिक व्यवहार के प्रति अपना संवेदनशील विरोध प्रगट किया था