बादल राग

झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन-घोर राग अमर, अंबर में भर निज रोर!झर-झर निर्झर, गिरि, सर में घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर में सरित, तड़ित गति, चकित पवन में मन में, विजन गहन, कानन में आनन-फानन में, रव घोर कठोर– राग-अमर, अंबर में भर निज रोर!

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नीला आकाश सारा का सारा

ड्राइंग-रूम में सजाकर रखा गया बोनसाय बरगद का पेड़ नहीं होता पूज्य वट वृक्ष की एक बड़ी डाल की तरह जो गड़वाती है

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बहुत दिन हो गए

कुछ कहानियों के  सही शीर्षक बदल कर बेतरतीब शीर्षक देने के लिए एक बड़े संपादक से  बातचीत में उलझे हुए बहुत दिन हो गए

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केंकड़े के प्रति

आते वसंत की उस पहाड़ी पर  नन्हीं घास की जड़ों में समा जाता ओ री नीरवता, वह क्या है  उसके अंदर गहरी साँसें लेने वाली मैं साफ सुनता हूँ अपनी देह में  दिल की धड़कनों की आवाज

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इशिकावा ताकुबोकू की कविताएँ

इशिकावा ने ‘टान्का’ के इस पुराने साँचे में काव्य-बिंबों के छोटे-छोटे नए आधुनिक नगीने प्रस्तुत किए हैं, जिसके कुछ बेमिसाल नमूनों की एक झलक भर यहाँ देखी जा सकती है।

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कानून की नजरों में

कानून की नजरों में बच्चे समय से पहले जवान हो रहे हैं क्योंकि आज कल तथागत तुलसी के साथ ही निर्भया जैसों के कातिल भी पैदा हो रहे हैं!

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