हाथ हमारे
वे हमारे हाथ हैं उन्होंने उठाया है बोझा उन्होंने कलम और तलवार चलाई है उन्होंने हथौड़े से कूटा है लोहा तो पेंसिल भी छीली है उन्होंने काटे हैं पहाड़ तो तराशे हैं हीरे-मोती भी।
मानव छोड़
कठोर सच! मानव मानव बनने की होड़ में मानव छोड़ सब कुछ बना यथा नेता-अभिनेता, क्रेता-विक्रेता, कवि-लेखक, स्वामी-सेवक और बहुत कुछ........
अफ्रीका
अफ्रिका एक ऐसी रचना है, जिसमें महाकवि ने बिल्कुल पिछड़े महादेश अफ्रिका के निर्दोष, निर्बोध आदिमवासियों के ऊपर होनेवाले तथाकथित सभ्य पाश्चात्य जगत के अमानुषिक व्यवहार के प्रति अपना संवेदनशील विरोध प्रगट किया था
उलझी त्रिज्याएँ
इस वृत्त की केंद्रस्थ भूमि डोल गई– सारी त्रिज्याएँ उलझ गई हैं ;
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