तस्वीर
जब मैं देखता हूँ अपने पूर्वजों कीटँगी हुई तस्वीरें, तो मन में बातें दृढ़ता दर्द भरी उभर आती है कि मैं भी तो टंग जाऊँगा इनके साथ ही एक दिन
जब मैं देखता हूँ अपने पूर्वजों कीटँगी हुई तस्वीरें, तो मन में बातें दृढ़ता दर्द भरी उभर आती है कि मैं भी तो टंग जाऊँगा इनके साथ ही एक दिन
बरामदा मेंवह जो खाट है बाबू जी सोया करते थे, और उसके बाजू की कोठरी में जो खाट है माँ सोया करती थी।
माँ, आसमान के सितारेसमेट ले आती है स्नेह के धागों के आँचल में, और साथ-साथ लाती है दुधिया आकाश लोकचंदा के आँगन से
नमक पर उतारे गए गुस्से से त्रस्त औरतें घर को तरसती घर की इज्जत औरतें अपनी औकात पहचानती घरेलू हिंसा की शिकार औरतें।
ऐसी कोई बात नहीं कि मैं दुःखी हूँ पर इतनी सुखी भी नहीं कि अपने देश के अपमान का‘जय हो’ करूँ। मैं कॉन्फिडेंट हूँ