प्रणय-पत्रिका
मैं प्रकृति-प्राकृत जनों का मान औ’ गुनगान करना चाहता हूँ। तुम उठे ऊँचे यहाँ तक स्वर्ग को ले
- Go to the previous page
- 1
- …
- 76
- 77
- 78
- 79
- 80
- 81
- 82
- …
- 92
- Go to the next page
मैं प्रकृति-प्राकृत जनों का मान औ’ गुनगान करना चाहता हूँ। तुम उठे ऊँचे यहाँ तक स्वर्ग को ले