प्यार के सपने

बड़ी उम्मीद पर मैंने कदम अंगार पर डाले, बड़ी उम्मीद पर मैं पी गया हँस कर ज़हर-प्याले, दिशाएँ मोड़ लूँगा, मैं नयी दुनिया बना लूँगा

और जानेप्यार के सपने

निर्झरिणी

निर्झरिणी, तेरी जल-धारा,ढोती मेरे सजग भाव को, तोड़ हृदय की कारा! पड़ा हुआ था, यथा सुप्त हो,बंदी था, पर आज मुक्त हो, विचर रहा, मकरंद-भुक्त हो, तेरा वह चिर-प्यारा।

और जानेनिर्झरिणी

दीपक मेरे मैं दीपों की

दीपक मेरे मैं दीपों की सिंदूरी किरणों में डूबे दीपक मेरे मैं दीपों कीइनमें मेरा स्नेह भरा है इनमें मन का गीत ढरा है

और जानेदीपक मेरे मैं दीपों की