चार चिंताएँ
जो दिल ही समुंदर लहर भावना हो कहो चाँद मेरे! रुकें ज्वार कैसे? जो तैराक को ही हो तिनका बनाए
एक निमिष
बड़े सवेरे रोज नींद से जब मैं आँख खोल जग जाती, नन्हीं चिड़िया एक सामने आ बातें करने लग जाती।
जाड़े की धूप सुनहली
बाट जोहते प्राण, तुम्हारी गई विरह की रात। दुख पर सुख की मधुर पुलक-सा
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