अमर संदेश
बीत चुके इतने दिन जैसे पर कल की ही बात, नहीं मिटा पाया उस छवि को क्रूर समय का हाथ।
सब कहते हैं-गीत सुनाओ
सब कहते हैं–गीत सुनाओ! मन को थोड़ा बहलाओ! यह न पूछता कोई तुमको क्या पीड़ा है बतलाओ?
बादल और वियोग
बादल घिरे आकाश में, तुम हो न मेरे पास में; मेरे लिए दो-दो तरफ बरसात के सामान हैं।
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