अपने अपने यथार्थ
देखते हो खूँटी पर टँगा वह मैला कुरताउसकी बाजू पर लगी हुई कई पैबंदमेरे पायजामे पर पड़ी बेतरतीब सिलवटें झुर्रियों से ग्लोब बने
देखते हो खूँटी पर टँगा वह मैला कुरताउसकी बाजू पर लगी हुई कई पैबंदमेरे पायजामे पर पड़ी बेतरतीब सिलवटें झुर्रियों से ग्लोब बने
हवा बदबू, धुआँ, सीलन से भरी है शोर से सहमी समय की बाँसुरी है तिर रहा हर होंठ पर फिल्मी तरानानहीं रिश्तों की गरम-कनकन छुअन है
सुख असीमया दुःख हो अनंत सिर्फ एक मन:स्थिति हैं...पर सुख के निर्विघ्न क्षणों में मन-रथ के घोड़े जब निरकुंश
कल्पना यथार्थ से भी अधिक कठोर होती हैं इसे कोमल उँगलियों से भी स्पर्श मत करो शरमा जाती है यह छुईमुई की तरह
यादों के दायरों की जद में वे लम्हे भी आएँगे जब तुमने और मैंने दूर रहकर भी सोचा था एक दूजे के बारे में।
सूरज अपनी रोशनी रात के आँचल में छुपाकर कहीं सो जाए या फिर निकल पड़े एक लंबे सफर पर मुझे तो रात की तन्हाई का करना है सामना