कुछ रात गए, कुछ रात रहे
कुछ रात गए, कुछ रात रहे जब सहसा नींद उचट जाती
विश्वराज्य
जगती, तेरे सभी हम, जननी, तेरी जय है; विश्वराज्य के लोकतंत्र में किसको किसका भय है?
कुछ रात गए, कुछ रात रहे जब सहसा नींद उचट जाती
जगती, तेरे सभी हम, जननी, तेरी जय है; विश्वराज्य के लोकतंत्र में किसको किसका भय है?