Skip to content
नई धारा
  • गद्य धारा
  • काव्य धारा
  • कथा धारा
  • व्यंग्य धारा
  • हमारे बारे में
  • अन्य
    • संस्मरण/स्मरणइस पृष्ठ पर आपको लेख, कविताएँ, कहानियाँ, आलोचक और यात्रा वृत्तांत मिलेंगे। एक लंबा स्थापित तथ्य है कि जब एक पाठक एक पृष्ठ के खाखे को देखेगा तो पठनीय सामग्री से विचलित हो जाएगा.
    • हम इनसे मिले थे
    • स्त्री विमर्श
    • दलित विमर्श
    • भारत-भारती
    • विश्व-भारती
    • हमें यह कहना है
    • आपने यह कहा है
Menu Close
  • गद्य धारा
  • काव्य धारा
  • कथा धारा
  • व्यंग्य धारा
  • हमारे बारे में
  • अन्य
    • संस्मरण/स्मरण
    • हम इनसे मिले थे
    • स्त्री विमर्श
    • दलित विमर्श
    • भारत-भारती
    • विश्व-भारती
    • हमें यह कहना है
    • आपने यह कहा है
Search for:

कविता

Home » कविता » Page 94
 विश्वराज्य

विश्वराज्य

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

जगती, तेरे सभी हम, जननी, तेरी जय है; विश्वराज्य के लोकतंत्र में किसको किसका भय है?

और जानेविश्वराज्य
 होली

होली

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

कैसी सुहाई जुनहाई निशा में दिवा फिर आई।

और जानेहोली
 मधुप्रभात

मधुप्रभात

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

प्रात की किरणें सुनहली हिलीं वंदनवार बनकर

और जानेमधुप्रभात
 जय-हार

जय-हार

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

जय-माला में हार हमारी मोती बन-बन गुँथती जाती!

और जानेजय-हार
 कल्पना के चरण

कल्पना के चरण

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

पंथ खोजा किए कल्पना के चरण

और जानेकल्पना के चरण
 लोहे के पेड़ हरे होंगे!

लोहे के पेड़ हरे होंगे!

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल

और जानेलोहे के पेड़ हरे होंगे!
  • Go to the previous page
  • 1
  • …
  • 91
  • 92
  • 93
  • 94
  • 95
  • Go to the next page

Recent Posts

  • कविता की भाषा
  • बदरंग चेहरे
  • सुनो चिड़िया
  • नींद
  • अस्तित्व

Recent Comments

  • उदय राज सिंह स्मृति सम्मान से सम्मानित लेखकों के व्याख्यान - नई धारा on ‘स्त्री जितना दिखती है, सिर्फ उतनी भर ही नहीं होती’–सूर्यबाला
  • वातभक्षा - नई धारा on वातभक्षा
  • व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय से बातचीत - नई धारा on नई धारा संवाद : सूर्यबाला (कथा-लेखिका)
  • भारत और भारतीयता पर विचार | article on nationalism by shatrughan prasad on कभी मनुहार, कभी फटकार!

संपादक से संपर्क करें

  • +91 9334333509
  • editor@nayidhara.inOpens in your application
  • Opens in a new tab
  • Opens in a new tab
  • Opens in a new tab
  • Opens in a new tab
  • Opens in a new tab
Copyright - OceanWP Theme by OceanWP

WhatsApp us