उलझी त्रिज्याएँ
इस वृत्त की केंद्रस्थ भूमि डोल गई– सारी त्रिज्याएँ उलझ गई हैं ;
इस वृत्त की केंद्रस्थ भूमि डोल गई– सारी त्रिज्याएँ उलझ गई हैं ;
भूल जाने दे मुझे अपनी समूची कल्पना बादलों का घूँट पी पीकर बनी जो चाँदनी भूल जाने दे परागी तारिकाओं की विभा