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कविता

Home » कविता » Page 96
 होली

होली

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

कैसी सुहाई जुनहाई निशा में दिवा फिर आई।

और जानेहोली
 मधुप्रभात

मधुप्रभात

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

प्रात की किरणें सुनहली हिलीं वंदनवार बनकर

और जानेमधुप्रभात
 जय-हार

जय-हार

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

जय-माला में हार हमारी मोती बन-बन गुँथती जाती!

और जानेजय-हार
 कल्पना के चरण

कल्पना के चरण

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

पंथ खोजा किए कल्पना के चरण

और जानेकल्पना के चरण
 लोहे के पेड़ हरे होंगे!

लोहे के पेड़ हरे होंगे!

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल

और जानेलोहे के पेड़ हरे होंगे!
 मुझे लौटकर जाने दो

मुझे लौटकर जाने दो

  • Post author:abhiranjan.priyadarshi
  • Post published:May 1, 1950
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

मुझको वापिस बुला रहे हैं, मुझे लौट कर जाने दो! एकबार फिर बीते सपनों से संसार सजाने दो!

और जानेमुझे लौटकर जाने दो
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