प्रणय-पत्रिका
मैं प्रकृति-प्राकृत जनों का मान औ’ गुनगान करना चाहता हूँ। तुम उठे ऊँचे यहाँ तक स्वर्ग को ले
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मैं प्रकृति-प्राकृत जनों का मान औ’ गुनगान करना चाहता हूँ। तुम उठे ऊँचे यहाँ तक स्वर्ग को ले