ममता की डोर

स्त्री अपने पति का प्रतिकार कर रही थी, वह सहमी-सी अपने पति के पीछे-पीछे अपने घर की तरफ खिंची चली जा रही थी...जाने ममता की कैसी डोर थी यह!

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इलाज

डाॅक्टर शोभा की जाँच-पड़ताल करने लगे। कई तरह के टेस्ट आदि भी करवाए गये, परंतु डाॅक्टर की गंभीर मुद्रा को देखकर शोभा की माँ ने पूछा- ‘डाॅक्टर साहब, मेरी बेटी ठीक तो हो जाएगी न?

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उतारन

घर से सोचकर गया था कि आज जो भी मुर्दा...घाट पर आएगा...उसके तन पर कंबल तो जरूर होगा...जिससे तुम्हारी ठंढ दूर हो जाएगी। पर जरा भाग्य तो देखो अम्मा...मुर्दे का उतारन भी नसीब नहीं!’

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अग्नि-स्नान

पुजारी की आँख खुली! घबराई आँखों से चारों तरफ देखा! कुछ नहीं! सब तो ठीक था। शयन-कक्ष का द्वार बंद था। शमा मधुर प्रकाश बिखेर रही थी। “कुछ नही! भ्रम है मेरा!” पुजारी ने अपने को संतोष देते हुए करवट बदली!

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कैदी की खेती

हरिप्रसन्न कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य था या नहीं, इस प्रश्न का जवाब नहीं दिया जा सकता। पर वह ऐसी बातें तो जरूर ही किया करता था, जो तिलमिला देने वाली थीं।

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क्लार्क और फाइल

फाइल भी क्लर्क की निष्ठुरता से उदास हो कर बोली–यदि तुम ही मेरा साथ छोड़ दोगे, तो दुनिया में मेरा अस्तित्व ही नहीं रह जाएगा।

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