अंतर
‘बात सिर्फ इतनी सी रहती तब भी चल जाती। मगर तुम्हारे दोस्त रामू का बाप रघुआ तो एक नंबर का शराबी है। झोपड़-पट्टी में जाकर शराब पीता है। रात-रात भर गाँव में जाकर रंडी का नाच देखता है!’
‘बात सिर्फ इतनी सी रहती तब भी चल जाती। मगर तुम्हारे दोस्त रामू का बाप रघुआ तो एक नंबर का शराबी है। झोपड़-पट्टी में जाकर शराब पीता है। रात-रात भर गाँव में जाकर रंडी का नाच देखता है!’
शिलान्यास की दु:ख भरी कहानी सुनाने लगी–‘जानती हो बहना? बिक्रमगंज मोहल्ले की सड़क जर्जर हो चुकी थी! जिस सड़क को,
दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया है। आपके पिता जी पर टी.बी. का भी असर है। फेफड़ा निमोनिया से ग्रस्त है।’ डॉक्टर ने समझाते हुए कहा।
‘औलाद की! एक भी बेटा या बेटी हो जाती तो मैं अपने जीवन को सार्थक समझती!’‘अपनी औलाद तो अपनी नहीं होती रूपा! क्यों न हम कोई बच्चा गोद ले लें?’
अन्नपूर्णा अपने गाँव गई थी। गाँव गए बहुत दिन हो गया तो गाँव पहुँच गई। उसे तीन महीने पहले कोरोना हुआ था।
एक संस्था द्वारा गरीबों के बीच कंबल का बँटवारा किया जाना था। मैं भी आमंत्रित अतिथि थी। इस बीच मोबाइल पर रिंग हुआ।