दूध
मानवी जॉब करती है। पति दूसरे जगह काम करते हैं। वह अपने दो वर्षीय पुत्री के साथ अकेले ही रहती है।
मानवी जॉब करती है। पति दूसरे जगह काम करते हैं। वह अपने दो वर्षीय पुत्री के साथ अकेले ही रहती है।
श्यामा का प्रतिदिन बस से आना-जाना है। वह विद्यालय में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है। वह कुँवारी है।
पंचायत बैठी। सभी पंचों को बुलाया गया। सुरेश नरेश दोनों भाइयों ने अपने माता-पिता को रखने से इनकार कर दिया था।
सामान बदल गया था। कत्ल का सामान मेरे साथ आ गया था।’ फिर मैंने कत्ल के सामान वाली अटैची उठायी हत्यारे को सौंप दी और कहा ‘अब तुम भले ही मुझे मार सकते हो। तुमने...तुमने मुझ पर जो उपकार किया है, हत्या कहीं बहुत छोटी पड़ गई है।’ यह कहते हुए वह फूट-फूट कर रो पड़ा। ‘मार दो, जिस काम के लिए आए उसे पूरा कर लो।’
आखिर एक दिन मालिक से कह ही दिया उसने ‘इस चाबी से आपके घर की खुशियाँ खुलती है और आप इसे रोज फेंक कर देते हैं।’ मालिक को बात सही लगी। उसने दरवाजे के हुक पर चाबी लटकाना शुरू कर दिया।
सब थे वहाँ। मैं भी था। बड़ी तादाद में लोग थे। लेकिन कोई किसी को नहीं जानता था, लेकिन हम सब ‘रावण’ को जानते थे। मैं भी ‘रावण’ को जानने की वजह से ही यहाँ आया था। एक ने मुझे टोका, ‘भाई साब–बाजू में हो जाइए बच्चे को रावण नहीं दिख रहा।’