सुनहला अवसर

‘कल तुम्हारे इलाके की कुछ झुग्गी-झोपड़ियों में आग लग गई थी।’ ‘जी सर’ ‘उस वक्त तुम घटना स्थल पर थे या नहीं?’ ‘जी...जी सर’ ‘कुछ फोटोग्राफ्स और रिपोर्ट लाये हो?’ मुख्य संपादक ने उत्साह भाव से पूछा। लेकिन रिपोर्टर को काटो तो खून नहीं। उसने अपने सूखे होंठों पर जीभ फिराते हुए बोला–‘सर मैं घटना स्थल पर तो फौरन पहुँच गया था लेकिन...’ ‘लेकिन क्या?’ ‘ले...लेकिन सर बात ये हुई कि मैं जैसे ही घटना स्थल पर पहुँचा...सर वहाँ एक बच्चा आग में झुलस कर तड़प रहा था...मुझसे रहा नहीं गया उसे उठाकर तत्क्षण अस्पताल की तरफ भागा...फिर तो मैं फोटो खींचना और रिपोर्ट लिखना भूल ही गया।’ उसने मायूस लहजे में कहा।

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बाजार

भारतीय प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल करने की खबर फैलते ही रमेश के घर पर बधाई देने वालों का ताँता लगा था। रमेश के पिता दरवाजे पर खड़े होकर परिचितों-अपरिचितों से बधाई स्वीकार करने में व्यस्त थे। उसी वक्त एक नौजवान किंचित मुस्कान बिखेरते हुए सामने आ खड़ा हुआ और अति विनम्र भाव से बोला–‘जी, मैं एक प्रतिष्ठित प्रतियोगी पत्रिका ‘सफलता की गारंटी’ का संपादक हूँ। रमेश जी से इंटरव्यू करना चाहता हूँ।’

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एक जहरीला प्रश्न

रोज की तरह आज भी सेठ नागरमल अपने कुत्ते को सुबह का नाश्ता करा रहे थे। कुत्ते उछल-उछल कर सेठ जी के हाथों से बिस्कुट खा रहे थे। सुबह की गुनगुनी धूप में नरम-नरम घास पर कुत्तों का उछलना और लुचक-लुचक कर उनके हाथों से बिस्कुट लेना उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था। उसी समय उनकी नौकरानी का आठ वर्षीय बेटा भी वहाँ आकर खड़ा हो गया और ललचायी दृष्टि से बिस्कुट खाते कुत्तों को देखने लगा।

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दृष्टि

वह किसी बड़े स्टेशन के प्रतीक्षालय में सोफे पर बैठी किसी गाड़ी की प्रतीक्षा में थी। उसकी गाड़ी के आने में संभवतः एक-डेढ़ घंटे की देर थी। वक्त गुजारने के ख्याल से वह किसी हिंदी पत्रिका के पन्ने पलटती हुई कोई रुचिकर सामग्री ढूँढ़ने में व्यस्त थी। वह अपनी एक टाँग दूसरी टाँग पर चढ़ाकर कुछ इस तरह बैठी थी कि स्कर्ट के अंदर से उसकी गोरी, चिकनी जाँघ स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी। प्रतीक्षालय के दूसरे कोने में बैठा बुजुर्ग उसकी इस स्थिति पर बुदबुदाया, ‘आजकल का पहनावा तो निर्लज्जता की हद को भी पार कर गया है...।’

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खरीदा हुआ गम

महानगर का एक भव्य जेन्ट्स पार्लर। ‘कहिए साहब क्या सेवा करूँ...?’ कस्टमर के कुर्सी पर बैठते ही मेकअप मैन ने पूछा। ‘वो बात यह है कि...’ कस्टमर ने धीमी आवाज में कहा, ‘मेरी कंपनी का हेड बॉस आज मर गया है...अभी उसी की शोक सभा में जाना है।’ ‘अच्छा तो गम का मेकअप चढ़वाना है।’ ‘हाँ, तुमने ठीक समझा...कुछ ऐसा मेकअप चढ़ाओ कि मैं ओरिजिनल दुःखी दिखाई दूँ...मतलब उसके रिश्तेदारों पर मेरे गम का गहरा असर होना चाहिए...।’

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ईश्वर सब देखता है

मंदिर के चबूतरे पर पालथी मारकर पुजारी ने अपने प्रवचन आरंभ करने से पूर्व भगवान की मूर्ति को देखा और शंख फूँककर वातावरण में भक्ति का भाव भरा। तत्पश्चात भक्तगण की ओर मुखातिब होकर कहा–‘प्रिय भक्तो! कल मैंने आप सभी को ईश्वर की महिमा के बारे में बताया था, उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं कहना चाहूँगा कि हम सब अपने जीवन में जो कार्य करें, सोच-समझकर करें, क्योंकि हम जो भी अच्छा या बुरा करते हैं, उसे कोई देखे या न देखे, ईश्वर जरूर देखता है...इसलिए हमें ईश्वर से डरना चाहिए...।’

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