सूर्यबाला की रचनाशीलता

आरंभ से विदेश में पली-बढ़ी नन्हीं पोती के व्यवहार, बोली और सोच से हतप्रभ सूर्यबाला अचंभित हैं और थोड़ा दुःखी भी।

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हिंदी कहानी का सफर

हिंदी कहानी की जब भी चर्चा होती है तब यह भी विचार-विमर्श का केंद्र हो जाता है कि उसकी उम्र क्या है? कुछ विचारक उसका उत्स वेदों उपनिषदों तक ले जाते हैं तो कुछ उसे मात्र शतायु मानते हैं।

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राष्ट्रवादी लेखकों की दृष्टि और दलित स्त्री

राष्ट्रवादी लेखक और विचारक इस बात से चिंतित थे कि आदि हिंदू आंदोलन के प्रभाव में आकर अछूत अपने पृथक धर्म के रास्ते पर चलकर कहीं अपना अलग धर्म खड़ा ना कर लें।

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भारतीय हिंदी समाज और प्रेमचंद

युग प्रतिनिधि कलाकार प्रेमचंद हिंदी उपन्यास के प्रेरणासूत्र और प्रकाश-स्तंभ हैं। उन्होंने हिंदी उपन्यास को उसकी सहजभूमि पर प्रतिष्ठित ही नहीं किया, भावी उपन्यासकारों के लिए दिशा-संकेत भी दिए।

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उस दिन की बात

आँखों देखी यह घटना तो सच है ही। सच ओझल न हो जाए, इसलिए मैंने कल्पना का सहारा नहीं लिया है। वैसे काल्पनिक उड़ान की गुंजाइश तो सभी जगह होती है।

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