स्त्री विमर्श एक सही सोच

इस समय समाज के बीच स्त्रियों की स्थिति और परिस्थितियाँ जैसे बदली हैं और बदल रही है उनमें ‘स्त्री दृष्टि’ और स्त्री सोच का परिदृश्य बदलना चाहिए था। नई पीढ़ी की युवतियाँ, शिक्षित, प्रशिक्षित और प्रोफेशनल हैं।

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वंदे मातरम्

अपने युग से असंतोष स्वास्थ्य का लक्षण हैं, वरना हम आत्मतृष्ट हो जाएँगे तो नया सृजन कैसे करेंगे। लेकिन बलिदानों की परंपरा हमारी विकास यात्रा को हमेशा रौशन करेगी, प्रेरणा देगी, वंदे मातरम्!

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प्रसाद की ‘कामायनी’

‘कामायनी’ को उसके इस पूरे परिप्रेक्ष्य और उसकी कथ्य-संरचना के साकल्य में देखने की अपेक्षा रही है और, जिसकी उपेक्षा प्रायः हिंदी के कवि-आलोचकों ने लगातार की है। इसका एक बड़ा कारण उपनिषद् और भारतीय दर्शन-विरोधी उनकी पूर्वग्रस्त धारणा रही है।

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दलित चिंतन की स्वतंत्रता

दलित चिंतन में सामूहिकता नहीं है तो वह दलित चिंतन नहीं है। उसे इस अभिशाप का सामना इस रूप में करना है कि वह बहुतों के लिए काम कर रहा है। परोपकारी मनुष्यों के लिए यह सुखद स्थिति है। दुनिया में कोई आदमी अकेला नहीं है।

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समाज की संवेदनहीनता

साधारणतः आदिवासियों को भारत में जनजातीय रूप में जाना जाता है। आदिवासी मुख्य रूप से भारतीय राज्यों उड़ीसा, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक हैं, जबकि भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों में यह बहुसंख्यक हैं, जैसे मिजोरम। आदिवासियों का जीवन संपूर्ण रूप से वनों पर निर्भर रहता है। वनों में जीवन-यापन करने के साथ-साथ वे पशुपालन का कार्य भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं।

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समकालीन हिंदी कहानियों में भूमंडलीकरण का प्रभाव

भौतिक सुख की दौड़ में आज की आधुनिक पीढ़ी ने विवाह को एक आड़ा मान लिया है। भूमंडलीकरण के प्रभाव में आई भारतीय सामाजिक व्यवस्था के भविष्य के प्रति संदेह पैदा हो रहा है। इस संदर्भ में अमित कुमार सिंह का यह कथन स्वीकार योग्य है कि–‘वैश्वीकरण ने प्राचीन एवं परंपरागत भारतीय समाज की बुनियादी आस्था को हिलाकर रख दिया है। भारत में व्यक्ति, परिवार, समाज और संस्कृति के समक्ष पुनर्परिभाषा का संकट उत्पन्न हो गया है। भूमंडलीकरण ने भारत में समाज व संस्कृति के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है। इन परिवर्तनों में कभी भविष्य के खतरे की आहट सुनाई देती है तो कभी इसमें एक नए भविष्य गढ़ने का सुखद अहसास परिलक्षित होता है।’

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